jeevansaathi

प्रेम प्रिये की परिभाषा में,
जीवन क्या बस तुम हो प्रियवर,
मन की आशा से अभिलाषा तक,
कह देती तुम बस चुप रह कर ||
नीर-नदी सी पावन तुम,
जीवन वायु सी बहती हो,
ह्रदय गहन समाई तुम,
साँसों मे सदा से रहती हो ||
जीवन का क्या रंगीन सुबह,
कभी बुझी-बुझी सी शामे है,
तुम ही हो वो दो हाथ प्रिये,
जो सदा से मुझको थामे है ||
तुम को पाया प्रिये तो जाना,
हर पल में नन्ही साँसे होती है,
होता एक ह्रदय प्रेम भरा,
हर प्रिये मे एक माँ होती है ||
आह्वाहन प्रभु से निश्छल मन का,
उपवन मे यह पुष्प सदा रहने देना,
यह निर्मल जल मधु प्रेम भरा,
प्रभु सदा ह्रदय सरल मे बहने देना ||
                                                       -     सर्वेश नैथानी






 

टिप्पणियाँ

  1. प्रेम का मतलब तुमसे जाना
    तुम बिन जीवन नीरस था
    व्यथित जीवन की चट्टानों पर
    कठिन राह पर चलते चलते
    जब यूँ चलना मुश्किल था
    एक लिपटती बेल तुम्हारे
    आस पास आनन्दित थी
    और नहीं कुछ सम्भव था
    सब ये शक्ति प्रवाहित थी
    आस पास के कण कण में
    शक्ति तुम्हारे प्रमाणित थी!
    ☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

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