samarpan ...........
गूँजो तुम सपनों के तल तक ,
गूँथी उपज के हल तक ,
बदलो तुम समय के संग मे ,
खिलो बसंत के रंग मे ,
ऊँघोँ समय विश्राम सा ,
तन धुंधला कोहरा श्याम सा ,
तिनका तिनका बिखरों तुम ,
कभी अखण्ड परब्रह्म साकार ,
वज्र से निष्ठुर बनो ,
कभी निश्छल प्रेम निराकार ,
नील समुद्र सा गहरा बिछो ,
लो अपार भूमि सा विस्तार ,
हो मानव सुलभ गुण रंजित ,
ह्रदय दिव्य स्वप्न साकार ,
कर्तव्य से कर्म जोड़ो ,
भीष्म शपथ कवच ओढ़ो ,
पहली बरखा बूँद बनो ,
सौंधी मिट्टी खुशबू जनो ,
मृत्यु पोषित राग छोड़ो ,
बनो शांति शगुन साज ,
दया प्रेम मर्म ओढ़ो ,
है शांत ह्रदय की आवाज ||
- सर्वेश नैथानी
गूँथी उपज के हल तक ,
बदलो तुम समय के संग मे ,
खिलो बसंत के रंग मे ,
ऊँघोँ समय विश्राम सा ,
तन धुंधला कोहरा श्याम सा ,
तिनका तिनका बिखरों तुम ,
कभी अखण्ड परब्रह्म साकार ,
वज्र से निष्ठुर बनो ,
कभी निश्छल प्रेम निराकार ,
नील समुद्र सा गहरा बिछो ,
लो अपार भूमि सा विस्तार ,
हो मानव सुलभ गुण रंजित ,
ह्रदय दिव्य स्वप्न साकार ,
कर्तव्य से कर्म जोड़ो ,
भीष्म शपथ कवच ओढ़ो ,
पहली बरखा बूँद बनो ,
सौंधी मिट्टी खुशबू जनो ,
मृत्यु पोषित राग छोड़ो ,
बनो शांति शगुन साज ,
दया प्रेम मर्म ओढ़ो ,
है शांत ह्रदय की आवाज ||
- सर्वेश नैथानी
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