naari
तुझमें तरु सी तन्मयता है ,
हिरणी सी है चंचलता ,
मेघों मे चपला तुम हो ,
चन्दन सी हो शीतलता ,
सोनपरी के पर हो तुम ,
हो जूह कली सी कोमलता ,
गहरे सागर का सीप हो तुम ,
या नंदन वन की सोमलता ,
महुए सी मादक हो तुम ,
यौवन रंग चंचल बाला ,
विष से भी घातक हो तुम ,
हो चलती फिरती मधुशाला ,
उत्सव रंग रंगोली हो तुम ,
कभी पतझड़ सी लाचारी हो ,
एक अनमोल उपहार प्रभु का ,
नारी तुम सबसे प्यारी हो ||
- सर्वेश नैथानी
Bahot khoob
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