bus ek saanjh ............
कौन राह के पथिक प्रिये तुम ,
कौन नगर तुमको है जाना ,
निर्जन वन क्या खोज रहे तुम ,
लिए चेहरा कुछ जाना पहचाना ,
साँझ की बेला डूब रही है ,
हर पथ पर अवसाद बिछे है ,
जीवन की इस भूल भुलैया मे ,
कुंठित यादों के दरबार सजे है ,
योंहि अकेले निकले सफर पर ,
क्यों कोई तेरा मीत नहीं है ,
जीवन मे अपवाद हो तुम ,
या रिश्तों से ही प्रीत नहीं है,
छोड़ो भूली बिसरी रहने दो प्रिये ,
इस शाम की आओ बात करे ,
मधुर मिलन और साँझ सिन्दूरी,
कुछ पल सुख तलाश करे ,
धन्य हुआ मैं कुछ देर सही ,
तुम कोमल मन हर्षाते हो ,
लक्ष्य नहीं मैं जीवन का तेरे ,
फिर क्यों इतना लाड़ जताते हो ,
सुबह नवेली दे न सकें हम ,
बस एक साँझ का किस्सा हैं ,
प्रिये जाने अनजाने फिर भी अब ,
एक स्वप्निल जीवन का हिस्सा हैं ,
पल दो पल का यह स्नेह तुम्हारा ,
पूरे जीवन पर भारी हैं ,
अल्प मिलन का यह मधुर स्पर्श प्रिये ,
मेरा रोम रोम आभारी हैं ||
- सर्वेश नैथानी
उत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंdhanyawaad ........
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