sukh dukh .......
जीवन का हर अंग सुशोभित ,
दुःख तो सुख का गहना है ,
मोह के रंग, रंगे वस्त्र यह ,
हर मानव मन ने पहना है ||
जब शब्द मिले अर्थ मिले ,
भावों को आकार मिला ,
तब दोस्त मिले प्रेम मिला ,
दुःख का पुष्पहार मिला ||
तुम किसके कितने अपने हो ,
कौन तुम्हारा है कितना अपना ,
दुःख मे हाथ तुम्हे जो थामे ,
सच है बाकी सब सपना ||
सुख तो है परछाई केवल ,
दुःख रिश्तों का दर्पण है ,
सुख मानव मन का है वैभव ,
दुःख अहं का मौन समर्पण है ||
दुःख के बल पर ही मानव ,
तुम सुख का हर्ष मनाते हो ,
दुःख से सुख को पहचान मिली ,
क्यों निष्ठुर सत्य छुपाते हो ||
यह मानव मन की साजिश है ,
दुःख नाहक बदनाम हुआ ,
सुख तो तन का भोगी है ,
दुःख ने अंतस कई बार छुआ ||
- सर्वेश नैथानी
दुःख तो सुख का गहना है ,
मोह के रंग, रंगे वस्त्र यह ,
हर मानव मन ने पहना है ||
जब शब्द मिले अर्थ मिले ,
भावों को आकार मिला ,
तब दोस्त मिले प्रेम मिला ,
दुःख का पुष्पहार मिला ||
तुम किसके कितने अपने हो ,
कौन तुम्हारा है कितना अपना ,
दुःख मे हाथ तुम्हे जो थामे ,
सच है बाकी सब सपना ||
सुख तो है परछाई केवल ,
दुःख रिश्तों का दर्पण है ,
सुख मानव मन का है वैभव ,
दुःख अहं का मौन समर्पण है ||
दुःख के बल पर ही मानव ,
तुम सुख का हर्ष मनाते हो ,
दुःख से सुख को पहचान मिली ,
क्यों निष्ठुर सत्य छुपाते हो ||
यह मानव मन की साजिश है ,
दुःख नाहक बदनाम हुआ ,
सुख तो तन का भोगी है ,
दुःख ने अंतस कई बार छुआ ||
- सर्वेश नैथानी
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