satrangi suraj ......
फिर उग आया सतरंगी सूरज ,
पत्तों पर बूँदे फिर चौंकी ,
तम का है राज्य छिना फिर ,
सन्नाटे मे चिड़िया चहकी ,
दमको दमको तुम ,
हे अग्निधारी प्रलयकारी ,
जीवन स्रोत तुम ,
शक्ति ज्योत तुम ,
तुमने ही तम का हरण किया ,
धरती पर पुलकित हो ,
नई आशा नई अभिलाषा ,
तुम नव जीवन का मर्म बनो ,
खोले पंख, पुष्प सुबह सवेरे ,
पत्तों ने चाँदी सा रंग छोड़ दिया ,
पहली किरण की बेला मे ,
रंग सुनहरा ओढ़ लिया ,
रात नदी का वो ठंडा कला जल ,
तुम से अब जीवन सोख रहा ,
अपने काले ठंडे जल में ,
जीवन की तपन को घोल रहा ,
प्रकृति ने है फिर पिंजरा खोला ,
आज़ादी का स्वर सुनो ,
धन्य कहो सतरंगी सूरज को ,
और अपना अपना कर्म बुनो ||
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